Saturday, December 9, 2017

Rahat Indori Shayari | Best of Rahat Indori Poetry in Hindi & Urdu | Rahat Indori Ghazals

Dr. Rahat Indori is one of the most acclaimed celebrity Urdu poet and a Bollywood lyricist, prior to this was a pedagogist of Urdu literature at Indore University. Rahat Indori is very well known and loved amongst his millions of fans worldwide for his poetic brilliance and very peculiar style of rendering ash’aars.

Rahat Indori Shayari: if you are a lover of Urdu poetry, you are sure to have heard of Rahat Indori, one of the most prominent Urdu Shayar of our country. Today, we are sharing a collection of Rahat Indori Best Shayari, Rahat Indori ghazals, Rahat Indori Best Shayari in Hindi, Best of Rahat Indori Shayari in Urdu.



अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
Ab Na Main Hun, Na Baaki Hai Zamane Mere,
Fir Bhi MashHoor Hain Shaharon Mein Fasane Mere,
Zindagi Hai Toh Naye Zakhm Bhi Lag Jayenge,
Ab Bhi Baaki Hain Kayi Dost Puraane Mere.
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
Loo Bhi Chalti Thi Toh Baad-e-Shaba Kehte The,
Paanv Failaye Andheron Ko Diya Kehte The,
Unka Anjaam Tujhe Yaad Nahi Hai Shayad,
Aur Bhi Log The Jo Khud Ko Khuda Kehte The.
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।


Haath Khali Hain Tere Shahar Se Jate Jate,
Jaan Hoti Toh Meri Jaan Lutate Jate,
Ab Toh Har Haath Ka Patthar Humein Pehchanta Hai,
Umr Gujri Hai Tere Shahar Mein Aate Jate.


नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं

जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सज़ा देके अदालत बिगाड़ देती हैं
Nai hawaon ki sohabat bigaad deti hain
Kabootron ko khul cchat bigaad deti hain

Jo jurm karte hain itne bure nahi hote
Sazaa na de ke adaalat bigaad deti hain
दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं
हमें चराग समझ कर भुझा ना पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं
Dilon me aag, labon par gulab rakhte hain
Sab apne chheron par, dohari nakaab rakhte hain
Hume charaag samjh kar bhuja na paaonge
Hum apne ghar me kai aaftaab rakhte hain
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता देना
हाथ जब उससे मिलाओ दबा भी देना
नशा वेसे तो बुरी शे है, मगर
राहत  से सुननी  हो तो थोड़ी सी पिला भी देना
Raaz jo kuch ho ishaaron me bata bhi dena
Haath jab usse milaao dabaa bhi dena
Nashaa vese to buri she hian, magar
“Rahat” se sunni ho to thodi si pilaa bhi dena
इन्तेज़ामात  नए सिरे से संभाले जाएँ
जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ
मेरा घर आग की लपटों में छुपा हैं लेकिन
जब मज़ा हैं, तेरे आँगन में उजाला जाएँ
Intezamat naye sire se sambhale jaaye
Jitne kamjarf hai mahfil se nikale jaaye
Mera ghar aag ki lapton me chupa hai lekin
Jab maza hai, tere aangan me ujaala jaaye

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं

मोड़  होता हैं जवानी का संभलने  के लिए
और सब लोग यही आके फिसलते क्यों हैं
Log har mod pe ruk ruk ke sambhalte kyo hain
Itna darte hain to ghar se nikalte kyo hain

Mod hota hain jawani ka sambhalne ke liye
Aur sab log yahi aake fisalte kyo hain
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,​
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश​,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।

Chehron Ke Liye Aayine Kurbaan Kiye Hain,
Iss Shauk Mein Apne Bade Nuksaan Kiye Hain,
Mehfil Mein Mujhe Gaaliyan Dekar Hai Bahut Khush,
Jis Shakhs Par Maine Bade Ehsaan Kiye Hain.
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
में बच भी जाता तो मरने वाला था
मेरा नसीब मेरे हाथ कट गए
वरना में तेरी मांग में सिन्दूर भरने वाला था
Ye haadsaa to kisee din gujarne waalaa tha
Me bach bhi jaataa to marne waalaa tha

Mera naseeb mere haath kat gaye
Warnaa me teri maang me sindoor bharne waalaa tha

तेरी हर बातमोहब्बत में गँवारा करके​,
दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके​,
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी​,​​
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।

Teri Har Baat Mohabbat Mein Ganwara Karke,
Dil Ke Bajaar Mein Baithe Hain Khasaara Karke,
Main Woh Dariya Hun Ke Har Boond Bhanwar Hai Jiski,
Tumne Achha Hi Kiya Hai Mujhse Kinaara Karke.


आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।

Aankhon Mein Pani Rakho Hontho Pe Chingari Rakho,
Zinda Rahna Hai Toh Tarkeebein Bahut Saari Rakho,
Ek Hi Nadi Ke Hain Yeh Do Kinare Dosto,
Dostana Zindagi Se Maut Se Yaari Rakho.
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी सकूँ।


Ajnabi Khwahishein Seene Mein Daba Bhi Na Sakun,
Aise Ziddi Hain Parinde Ke Uda Bhi Na Sakun,
Foonk Dalunga Kisi Roj Main Dil Ki Duniya,
Yeh Tera Khat To Nahi Ke Jala Bhi Na Sakun.
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।


Roj Taaron Ki Numaaish Mein Khalal Padta Hai,
Chand Pagal Hai Andhere Mein Nikal Padta Hai,
Roj Patthar Ki Himayat Mein Ghazal Likhte Hain,
Roj Sheeshon Se Koi Kaam Nikal Padta Hai.

Dr. Rahat Indori is also Known for his contribution in Bollywood industry. He is one of the most famous Bollywood lyricist. As a lyricist, he has given numerous hit songs to Bollywood like, mere khayal of prem 'Shakti', zindagi naam ko hamari hai from 'Aashiyan', Aaj humne dil ka har kissa from 'Sir' and many more.

उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।
Use Ab Ke Wafaon Se Gujar Jaane Ki Jaldi Thi,
Magar Iss Baar Mujhko Apne Ghar Jaane Ki Jaldi Thi,
Main Aakhir Kaun Sa Mausam Tumhare Naam Kar Deta,
Yehan Har Ek Mausam Ko Gujar Jaane Ki Jaldi Thi.
Maine Apni Khushk Aankhon Se Lahoo Chalka Diya,

Ik Samandar Keh Raha Tha Mujhko Paani Chahiye.

मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।

Bahut Guroor Hai Dariya Ko Apne Hone Par,

Jo Meri Pyaas Se Uljhe Toh Dhajjiyan Ud Jayein.

बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ


Rahat Indori Ghazals

कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया,
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया,
रातों को चांदनी के भरोसें ना छोड़ना
सूरज ने जुगनुओं को ख़बरदार कर दिया,
रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ
तुमने ज़रा सी बात को अखबार कर दिया,
इस बार एक और भी दीवार गिर गयी
बारिश ने मेरे घर को हवादार कर दिया,
बोल था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझे
अच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दिया,
दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो हैं
मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया…. !!
-Dr. Rahat Indori

अंदर का ज़हर चूम लिया, धूल के गए

अंदर का ज़हर चूम लिया, धूल के गए
कितने शरीफ लोग थे सब खुल के गए,
सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवकूफ
सारे सिपाही मोम के थे घुल के गए,
मस्जिद में दूर दूर कोई दुसरा था
हम आज अपने आप से मिल जुल के गये,
नींदो से जंग होती रहेगी तमाम उम्र
आँखों में बंद ख्वाब अगर खुल के गए,
सूरज ने अपनी शक्ल भी देखि थी पहली बार
आईने को मजे भी मुक़ाबिल के गए,
अनजाने साये फिरने लगे हैं इधर उधर
मौसम हमरे शहर में काबुल के गये..!!
-Dr. Rahat Indori

समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता है

समन्दरों में मुआफिक हवा चलाता है
जहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है,
ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आये
वो हम नहीं हैं, जिन्हें रास्ता चलाता है,
वो पाँच वक़्त नज़र आता है नमाजों में
मगर सुना है कि शब को जुआ चलाता है,
ये लोग पांव नहीं जेहन से अपाहिज हैं
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है,
हम अपने बूढे चिरागों पे खूब इतराए
और उसको भूल गए जो हवा चलाता है..!!
-Dr. Rahat Indori

इन्तेज़ामात  नए सिरे से संभाले जाएँ

इन्तेज़ामात  नए सिरे से संभाले जाएँ
जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ,
मेरा घर आग की लपटों में छुपा हैं लेकिन
जब मज़ा हैं तेरे आँगन में उजाला जाएँ,
गम सलामत हैं तो पीते ही रहेंगे लेकिन
पहले मयखाने की हालात तो संभाली जाए,
खाली वक्तों में कहीं बैठ के रोलें यारों
फुरसतें हैं तो समंदर ही खंगाले जाए,
खाक में यु ना मिला ज़ब्त की तौहीन ना कर
ये वो आसूं हैं जो दुनिया को बहा ले जाएँ,
हम भी प्यासे हैं ये अहसास तो हो साकी को
खाली शीशे ही हवाओं में उछाले जाए,
आओ शहर में नए दोस्त बनाएंराहत
आस्तीनों में चलो साँप ही पाले जाए..!!
-Dr. Rahat Indori


इस से पहले की हवा शोर मचाने लग जाए
मेरे अल्लाह मेरी ख़ाक ठिकाने लग जाए
घेरे रहते हैं खाली ख्वाब मेरी आँखों को
काश कुछ  देर मुझे नींद भी आने लग जाए
साल भर ईद का रास्ता नहीं देखा जाता
वो गले मुझ से किसी और बहाने लग जाए
Is se pahle ki hawa shor machane lag jaaye
Mere “Allaha” meri khak thikane lag jaaye
Ghere rahte hai khali khwab meri aankhon ko
Kaash kuch der mujhe neend bhi aane lag jaaye

Saal bhar Iad ka rasta nahi dekha jaata
Wo gale mujh se kisi aur baahne se lag jaaye
दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राय ली जाए
बोतलें खोल के तो पि बरसों
आज दिल खोल के पि जाए
Dosti jab kisi se ki jaaye
Dushmano ki bhi raay lee jaaye

Botlen khol ke to pi barson
Aaj dil khol ke pi jaaye
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
Faisla jo kuch bhi ho, hume manjoor hona chahiye
Jung ho ya ishq ho, Bharpur hona chahiye
Bhoolna bhi hai, jaroori yaad rakhne ke liye
Paas rahna hai, to thoda door hona chahiye
यही ईमान लिखते हैं, यही ईमान पढ़ते हैं
हमें कुछ और मत पढवाओ, हम कुरान  पढ़ते हैं
यहीं के सारे मंजर हैं, यहीं के सारे मौसम हैं
वो अंधे हैं, जो इन आँखों में पाकिस्तान पढ़ते हैं
Yahi imaan likhte hai, yahi imaan padhte hai
Hume kuch aur mat padhwao, hum kuran padhte hai

Yahi ke saare manzar hai, yahi ke saare mausam hai
wo andhe hai, jo in aankho me Pakisthan padhte hai
चलते फिरते हुए मेहताब  दिखाएँगे तुम्हे
हमसे मिलना कभी पंजाब दिखाएँगे तुम्हे
Chalte phirte hue MEhtaab dikhayenge tumhe
Humse milna kabhi Punjab dikhayenge tumhe
इस दुनिया ने मेरी वफ़ा का कितना ऊँचा  मोल दिया
बातों के तेजाब में, मेरे मन का अमृत घोल दिया
जब भी कोई इनाम मिला हैं, मेरा नाम तक भूल गए
जब भी कोई इलज़ाम लगा हैं, मुझ पर लाकर ढोल दिया
Is duniya ne meri wafa ka kitna ooncha mol diya
Baaton ke Tezab me, mere man ka amrat ghol diya
Jab bhi koi inam mila hai, mera naam tak bhul gaye
Jab bhi koi ilzam laga hai, mujh par lakar dhol diya
कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया
Kasti tera naseeb chamkadar kar diya
Is paar ke thapedon ne us paar kar diya
Afwah thi ki meri tabiyat khrab hai
Logo ne puch puch ke bimar kar diya
मौसमो का ख़याल रखा करो
कुछ लहू मैं उबाल रखा करो
लाख सूरज से दोस्ताना हो
चंद जुगनू भी पाल रखा करो
Mausamo ka khyaal rakah karo
Kuchh lahoo mein ubaal rakha karo
Laakh sooraj se dostaana hi
Chand jugnoo bhi paal rakha karo
राहत इन्दौरी (Rahat Indori)

Hope you'll enjoy our collection of Best poetry of Rahat Indori, Rahat Indori Shayari, Rahat Indori Ghazals. Don't forget to share with your friends and family. subscribe this website to get latest Shayari in Hindi/Urdu, whatsapp status and quotes, Best Whatsapp Status in Hindi and much more. like our facebook page to get status on facebook.

Related tags: Rahat Indori best Poetry, Hindi Shayari, Best Shayari of Dr. Rahat Indori, Ghazals of Rahat Indori.

Previous Post
Next Post
Related Posts

1 comment:

Follow us